बलौदाबाजार,,,,,विद्यालय में मनाया गया वंदे मातरम दिवस

आज विद्यालय में वंदे मातरम दिवस मनाया गया
वंदे मातरम दिवस के मुख्य अतिथि विद्यालय के प्राचार्य त्रिलोचन साहू ने इस अवसर पर बच्चों को संबोधित करते हुए बताया । कि वंदे मातरम की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा की गई थी बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास आनंद मठ में इसे सम्मिलित किया था। बंग भंग आंदोलन में वंदे मातरम राष्ट्रीय नारा बना। ब्रिटिश शासन के दौरान देशवासियों के दिलों में गुलामी के खिलाफ आग भड़काने वाले सिर्फ दो शब्द थे। वह थे वंदे मातरम । वंदे मातरम के दो शब्दों में देशवासियों में देशभक्ति के प्राण फूंक दिए थे । पीढ़ियां बीत गई पर वंदे मातरम का प्रभाव अक्षुण्ण है ।बंगाल के कांतल वड़ा नामक गांव में 7 नवंबर 1876 को वंदे मातरम गीत की रचना की गई थी और पहली बार 1896 में कोलकाता अधिवेशन में वंदे मातरम गाया, गया था ।यानी भारत को आजादी मिलने के करीब 51 वर्ष पहले ही वंदे मातरम लिखी जा चुकी थी।
इस अवसर पर विद्यालय के वरिष्ट आचार्य लखन वर्मा व श्रीमती राजेश्वरी सोनी तथा समस्त आचार्य/दीदी उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन बहिन अंकिता टण्डन ने की।