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कबीरधाम,,,,गुम इंसान की गुत्थी को थाना कुकदूर पुलिस द्वारा ततपरता से सुलझाया गया,,

पदमराज सिंह ठाकुर जिला कबीरधाम

थाना कुकदूर में संरक्षित बैगा जनजाति के गुमशुदा व्यक्ति महासिंह बैगा (उम्र 40 वर्ष, निवासी ग्राम सेंदूरखार) की गुमशुदगी की रिपोर्ट उनकी पत्नी द्वारा 11 जनवरी 2025 को दर्ज कराई गई। रिपोर्ट के अनुसार, महासिंह बैगा 10 जनवरी 2025 की रात्रि करीब 8 बजे घर से बिना बताए कहीं चले गए थे। इस पर थाना कुकदूर में गुम इंसान क्रमांक 02/25 दर्ज कर वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल सूचित किया गया।

गुमशुदा व्यक्ति संरक्षित बैगा जाति से संबंधित होने और मामले की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस अधीक्षक कबीरधाम श्री धर्मेंद्र सिंह (भा.पु.से) के निर्देश पर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री पुष्पेंद्र बघेल एवं श्री पंकज पटेल, तथा अनुविभागीय अधिकारी श्री संजय ध्रुव एवं श्रीU कृष्णकुमार चंद्राकर के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी निरीक्षक जे.एल. शांडिल्य के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई। टीम ने गुमशुदा व्यक्ति की तलाश के लिए उनके गांव और आसपास के जंगलों में सघन सर्च अभियान चलाया।

20 जनवरी 2025 को सर्चिंग के दौरान, गांव के पास के जंगल में लुक-छिप रहे दो संदिग्ध, संतराम बैगा और हीरालाल बैगा, मुखबिर की सूचना पर पकड़े गए। उनसे गहन पूछताछ की गई, जिसमें उन्होंने खुलासा किया कि 10 जनवरी की रात को महासिंह बैगा और 10 अन्य लोग जंगली जानवर का शिकार करने की योजना बनाकर जंगल गए थे। उन्होंने अवैध बिजली कनेक्शन के माध्यम से जानवरों का शिकार करने का प्रयास किया। इसी दौरान, महासिंह बैगा बिजली के तार की चपेट में आ गए, जिससे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।

घटना को छिपाने के उद्देश्य से, महासिंह बैगा के शव को जंगल के एक नाले में गाड़ दिया गया और साक्ष्य मिटाने के लिए उस स्थान पर एक मृत गाय का शव रख दिया गया।
संदेहियों की निशानदेही पर टीम ने मध्य प्रदेश के बजाग थाना क्षेत्र (ग्राम धुरकुटा, जिला डिंडौरी) में घटना स्थल का निरीक्षण किया। वहां गाड़ा हुआ शव बरामद किया गया, जिसे संदिग्धों ने महासिंह बैगा का बताया। विधिसम्मत कार्रवाई के तहत शव का पंचनामा तैयार किया गया और मामला थाना बजाग (म.प्र.) को ट्रांसफर किया गया।

इस कार्रवाई में थाना प्रभारी निरीक्षक जे.एल. शांडिल्य, प्रधान आरक्षक मनोज तिवारी, आरक्षक कृष्णकुमार ध्रुवे, आरक्षक पंचम बघेल, आरक्षक संदीप पांडेय, आरक्षक दूजराम सिंद्राम, और डीएसएफ आरक्षक शिवचरण यादव का विशेष योगदान रहा।

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