कांकेर,,,,,कांकेर ब्लाक स्तरीय कूकिंग प्रतियोगिता का आयोजन: ग्राम कोदाभाट के डोंगरी पारा में हुआ सफल आयोजन

कांकेर विकास खंड के ग्राम कोदाभाट के डोंगरीपारा स्थित प्राथमिक शाला में ब्लाक स्तरीय कूकिंग प्रतियोगिता का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। इस प्रतियोगिता में कांकेर ब्लाक के सभी संकुलों से चयनित रसोइयों ने अपनी कुकिंग कला का प्रदर्शन किया और विभिन्न प्रकार के चावल, दाल, सब्जी, एवं अन्य खाद्य पदार्थों का निर्माण कर निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने व्यंजन तैयार किए। प्रतियोगिता का उद्देश्य न केवल रसोइयों की कुकिंग कला को सराहना था, बल्कि उन्हें अपने कौशल को और अधिक निखारने का अवसर प्रदान करना था।
प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में सीमा महादेवकर, व्याख्याता, कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कांकेर, मोना रजक, शिक्षक, माध्यमिक शाला गढ़पिछवाड़ी और जया गौतम, व्याख्याता, हाईस्कूल दसपुर ने प्रमुख भूमिका निभाई। निर्णायकों ने रसोइयों द्वारा तैयार किए गए व्यंजनों का परीक्षण किया और उनके कुकिंग कौशल, समय प्रबंधन, स्वच्छता और स्वाद के आधार पर निर्णय लिया। परिणामस्वरूप, प्रथम स्थान पर पटौद संकुल के रसोइयों ने कब्जा किया, जबकि द्वितीय स्थान कंकालीनपारा और तृतीय स्थान सिदेसर संकुल के रसोइयों ने प्राप्त किया।
इस शानदार आयोजन में कांकेर ब्लाक शिक्षा क्षेत्र के प्रमुख अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में केजू राम सिन्हा, खंड शिक्षा अधिकारी कांकेर, दीपक ठाकुर, सहायक खंड शिक्षा अधिकारी, डीके भास्कर, बीआरसी कांकेर, संकुल समन्वयक हेमेंद्र साहसी, नीतेश उपाध्याय, रोमन जैन, डॉ. तोरण दसपुर, कमलेश साहू, दिलीप साहू, प्रशांत मेश्राम, एवं कांकेर ब्लाक के रसोइया, शिक्षक स्टाफ सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
प्रतियोगिता का आयोजन शिक्षा के साथ-साथ अन्य कलाओं में भी रचनात्मकता और कौशल को प्रोत्साहित करने का एक उदाहरण बना। यह आयोजन न केवल रसोइयों के प्रयासों को मान्यता प्रदान करने का अवसर था, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ावा देने का एक मंच साबित हुआ। आयोजकों ने इस आयोजन को रसोइयों को प्रेरित करने के रूप में देखा और आगामी समय में ऐसे आयोजनों को और भी बड़े स्तर पर आयोजित करने की योजना बनाई है।
प्रतियोगिता के समापन के बाद, विजेता रसोइयों को पुरस्कार प्रदान किया गया और उनके प्रयासों की सराहना की गई। आयोजकों का मानना है कि इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाती हैं, बल्कि समुदाय के भीतर सकारात्मक बदलाव लाने का काम भी करती हैं। इस कार्यक्रम ने यह भी साबित कर दिया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होता, बल्कि जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी सृजनात्मकता, कौशल और विकास को बढ़ावा देना है।