छत्तीसगढ़,,,,सृष्टि के प्रथम पत्रकार नारद को केवल देवर्षि की उपाधि है, फिल्मो ने बिगाड़ा उनका स्वरूप- बालयोगी अरोड़ा

■ बालयोगी विष्णु अरोड़ा जी कि हुई प्रेसवार्ता, पत्रकारो ने विज्ञान और अध्यात्म से जुड़े सवालो के पाए जवाब
■ चौथे दिवस कथा हुई संपन्न, मन,चित्त,अंहकार और बुद्धि एवं सृष्टि रचना की सुनाई गई कथा
नागरिक ज्ञान यज्ञ समिति के द्वारा देवी भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। संत बालयोगी का दर्जा प्राप्त कथावाचक पूज्य बालयोगी विष्णु अरोड़ा के द्वारा कथा गंगा प्रवाहित हो रही है। भाटापारा के बुद्धिजीवी पत्रकारों के साथ सतीश अग्रवाल, अनिल अग्रवाल के निवास पर प्रेसवार्ता का आयोजन हुआ। कथावाचक अरोड़ा ने अपने कथा में संगीत का प्रयोग नही करने पर बताया कि संगीत कथाओ के उद्येश्यों को भटकाती है। संगीत का महत्व भजन के अंदर लेकिन कथाओं के लिए संगीत निराधार है, कथाओं में सगीत को मिश्रण मनोरंजन का साधन है। शास्त्रो में भागवत का समय और पक्ष तय है, लेकिन व्यक्तिगत कामनाओं की पूर्ति में इसका महत्व बढ़ जाता है लेकिन सार्वजनिक आयोजनो में जनकल्याण के लिए इसे व्यवस्थित करना पड़ता है। शास़्त्रों में ऊंच-नीच की भावनाए नही है उसमें कर्मानुसार वर्ण व्यवस्था का उल्लेख मिलता है। पत्रकारों के इष्ट देवता नारद स्वरूप को हास्यात्मक, व्यग्यांत्मक एवं झगड़ा कराने वाला बनाने का खराब काम फिल्मो और समाज को तोड़ने वाली असामाजिक शक्तियों ने किया है, नारदजी के वृहद चरित्र को कोई समझ नही पाया बस ये समझ लिजिए की देवताओ के ऋषि की उपाधि केवल एक नारद जी को प्राप्त है जिन्हे देवर्षि कहा जाता है।
चतुर्थ दिवस आरंभ हुआ देवी चरित्र की कथा
देवी कथा महापुराण का चौथे दिन की कथा प्रारंभ हुई जिसमें कथावाचक अरोड़ा ने श्रीमद भागवत को भक्ति और देवी पुुराण को ज्ञान-शक्ति का पुराण बताया। योगचक्र, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार और त्रिदेव में निहित गुणों को वर्णित किया। सृष्टि रचना को मानवीय शरिर अंतर्सरचना के माध्यम से बताया। भगवती चरित्र बताते हुए मन को इंद्र, बुद्धि को ब्रम्हा, नेत्रों को चंद्रसूर्य, नारायण स्थान जैसे अध्यात्म और शरिर की संरचना को व्याख्त्मक किया।