Blog

छत्तीसगढ़,,,,,भव्य कवि सम्मेलन के साथ काव्य संग्रह विमोचित

बिलासपुर/रतनपुर रतनपुर के समीपस्थ गांव मेलानाडीह खूंटाघाट बांध से लगा हुआ सांडिल्य निवास काव्य गोष्ठी से सजी रही,जहां ढलती सांझ से देर रात तक कविताओं की अविरल धारा बहती रही, जिसमे राष्ट्रीय कवि संगम इकाई बिलासपुर एवं मेलनाडीह खूंटाघाट साहित्य मंडल के तत्वावधान में एक कवि सम्मेलन व काव्य संग्रह का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में कृतिकार रामेश्वर शाण्डिल्य की तीन काव्यकृतियों में सीप के मोती,बच्चों की महफ़िल, हमर गांव का विमोचन मंचासीन प्रमुख अभ्यागत- डा राघवेन्द्र दुबे प्रांताध्यक्ष तुलसी साहित्य अकादमी, अध्यक्षता -काशी प्रसाद साहू राष्ट्रपति पुरस्कृत एवम विशिष्ट अभ्यागत -अंजनी कुमार सुधाकर अध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई बिलासपुर के कर कमलों से संपन्न हुआ , जिसमे सबसे पहले माँ सरस्वती के छाया चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन किया गया। तत्पश्यात अतिथियों का परम्परानुसार पगड़ी बांध कर, शाल, श्रीफल प्रदानकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी जी को उनकी अंठान्यवेवीं पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि दी गई तथा छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कराने का प्रस्ताव पारित किया गया।
और रतनपुर तीर्थ व पुरातात्विक स्थल दर्शन की सूचना फलक उसलापुर व बिलासपुर रेल्वे प्लेटफार्म पर लगाने का सुझाव रखा गया।
कार्यक्रम में विमोचित रामेश्वर शाण्डिल्य की तीनों कृतियों की समीक्षा पाठन करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार अंजनी कुमार तिवारी’ने कृतियों की सामाजिक रचनाधर्मिता एवं उपादेयता पर विस्तृत जानकारी देते हुए उन्हें श्रेष्ठ कृति निरुपित किया। वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश पाण्डेय ने कहा सांडिल्य सर की तीन काव्य कृतियों का एक साथ विमोचन इस क्षेत्र के लिए बडी गौरव की बात है।इससे नये लोगों को साहित्य के प्रति रूचि बढ़ेगी।
कार्यक्रम का द्वितीय खंड लोक भाषा व हिंदी में प्रतिनिधि कविताओं के माध्यम से विविध काव्य विधाओं में प्रस्तुति दी गई जिसमे रामेश्वर सांडिल्य द्वारा कइसे भुला जांव हमर गांव ल,नहर के तीर आमा के छांव ल, कविता के माध्यम से गांव का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया,वहीं साहित्यकार बलराम पांडेय ने अपनी कविता के माध्यम से पूरा रतनपुर दर्शन करा दिया, इसके अलावा प्रमोद कश्यप,रविन्द्र सोनी,बलराम पाण्डेय,दोस्त कुमार दुबे,रामानंद यादव,दिनेश तिवारी,शीतल पाटनवर,दिनेश पाण्डेय, डॉ अंकुर शुक्ला,शत्रुहण जश्नवानी आदि ने अपनी रस भरी कविताओं से श्रोताओं को बांधे रखा।

Back to top button

You cannot copy content of this page

error: Content is protected !!