कबीरधाम,,,,धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान : कबीरधाम जिले के 275 आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध शिविर का आयोजन

जिले में 15 से 30 जून 2025 तक जागरूकता एवं संतृप्ति शिविर का किया जाएगा आयोजन
कलेक्टर गोपाल वर्मा ने शिविर के आयोजन के लिए अधिकारियों को दिए आवश्यक दिशा निर्देश
कवर्धा, 28 मई 2025। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पीएम-जनमन की भांति अनुसूचित जनजातियों के बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ 02 अक्टूबर 2024 को किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य आदिवासी परिवारों के सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इस अभियान में 17 मंत्रालयों द्वारा संचालित किए जा रहे 25 गतिविधियों को सम्मिलित किया गया है। धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान योजना में जिला कबीरधाम अंतर्गत विकासखंड बोड़ला के 226, विकासखंड पंडरिया के 41, विकासखंड स.लोहारा के 07 एवं विकासखंड कवर्धा के 01 कुल 275 आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 15 जून 2025 से 30 जून 2025 तक जागरूकता एवं संतृप्ति शिविर का आयोजन किया जाएगा। कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने शिविर के आयोजन के लिए अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए है।
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त श्री स्वर्णिम शुक्ला ने बताया कि शिविर में अनुसूचित जनजाति वर्ग के परिवार, सदस्यों का तत्कालिक गतिविधि अंतर्गत आधार कार्ड, राशन कार्ड, उज्जवला योजना, आयुष्मान कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि, जनधन खाता, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, सामाजिक सुरक्षा (वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन), रोजगार एवं कौशल विकास अंतर्गत (मनरेगा, पीएम विश्वकर्मा, मुद्रा ऋण), महिला एवं बाल विकास अंतर्गत पीएम मातृवंदन योजना का यथा संभव मौके पर पंजीयन किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान योजनांतर्गत जिले 275 आदिवासी बाहूल्य ग्रामों में 15 जून 2025 से 30 जून 2025 तक आयोजित शिविरों में विभिन्न योजना-गतिविधियों का लाभ लिया जा सकता है।
गौरतलब है कि 275 ग्रामों में धरती आबा योजनांतर्गत आगामी 05 वर्षां में दीर्घकालिक गतिविधि अंतर्गत जनजातीय परिवारों को पक्का घर, गांवों में सड़क, बिजली, पानी, मोबाईल मेडिकल यूनिट्स, आवासीय विद्यालयों व छात्रावास-आश्रमों के उन्नयन तथा कौशल विकास और रोजगार के अवसर की उपलब्धता इत्यादि गतिविधियों के माध्यम से जनजातीय बाहुल्य ग्रामों को शत्-प्रतिशत संतृप्ति किया जाना है।