छत्तीसगढ़,,,,,विजन निःशुल्क कोचिंग संस्थान के विद्यार्थियों ने किए बस्तर भ्रमण

मां दंतेश्वरी का दर्शन, चित्रकूट जलप्रपात ,तीरथगढ़ जलप्रपात ,सातधार जलप्रपात ,बारसूर का मामा भांजा मंदिर देखकर बच्चे हुए आनंदित
विजन निःशुल्क कोचिंग संस्थान टोलागॉव,विकासखण्ड ,जिला मोहला मानपुर अम्बागढ़ के विद्यार्थियों ने नीलकंठ कोमरे,राजू निर्मल, उजागर सिंह भंडारी, किरण मंडावी के मार्गदर्शन में बस्तर भ्रमण किए।यहाँ लोक संस्कृति, परंपरा, धार्मिक पर्यटन, बस्तर हाट (बाजार), मुर्गा लड़ाई, घोटुल पर्यटन के आकर्षण हैं जो देश के अन्य किसी पर्यटन स्थल पर नहीं देखे जा सकते। छत्तीसगढ़ का भू-भाग, पुरातात्विक, सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत संपन्न है फिर चाहे वह कांकेर घाटी हो, विश्व प्रसिद्ध चित्रकोट का जलप्रपात हो या फिर कुटुंबसर की गुफाएं ही क्यों न हों। प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर सदाबहार लहलहाते सुरम्य वन, जनजातियों का नृत्य-संगीत और घोटुल जैसी परंपरा यहाँ का मुख्य आकर्षण हैं।
इस मन्दिर का निर्माण १४वीं शताब्दी में हुआ था। दन्तेवाड़ा का नाम देवी दन्तेश्वरी के नाम पर ही पड़ा है जो काकतीय राजाओं की कुलदेवी हैं। परम्परागत रूप से देवी दन्तेश्वरी बस्तर राज्य की भी कुलदेवी हैं
बस्तर को ‘छत्तीसगढ़ का कश्मीर’ कहा जाता है. यह अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए मशहूर है.
बस्तर में कई जलप्रपात हैं, जिनमें से कुछ के बारे में जानकारीः
तीरथगढ़ जलप्रपात: यह बस्तर का दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात है. यह मुनगाबहार नदी पर बना है और 100 फ़ुट से ज़्यादा ऊंचा है. इसे बस्तर की जान कहा जाता है.
चित्रधारा जलप्रपात: बस्तर की खूबसूरती का एक अद्भुत उदाहरण है. यह 50 फ़ुट की ऊंचाई से गिरता है.
बस्तर में कई गुफ़ाएं भी हैं, जिनमें से कुछ के बारे में जानकारीः
कोटमसर गुफ़ा: यह कांगेर वैली नेशनल पार्क में है. यह बहुत बड़ी गुफ़ा है और इसके अंदर अलग-अलग तरह की आकृतियां बनी हुई हैं.
बस्तर में कई जनजातीय समुदाय रहते हैं, जिनमें गोंड, मारिया, मुरिया, भतरा, हल्बा, धुरुवा समुदाय शामिल हैं.
बस्तर में बैंबू रायडिंग का भी मज़ा लिया जा सकता है.
बस्तर में बस्तर पैलेस भी है, जिसे बस्तर के शासकों ने बनवाया।
बस्तर भ्रमण में नीलकंठ कोमरे,उजागर भण्डारी,राजू निर्मल, किरण मंडावी, हेमा सिन्हा, भगवती निषाद, यदु मैम ,भूविक कोमरे,सोनली कोमरे,नोमिता साहू, गौरी साहू,टिलेश्वरी निषाद ,मीनाक्षी निषाद,मोनिका टेकाम,भारती नेताम,चांदनी, अंशु, मोना , देवेश्वरी उइके,पादमंजलि साहू,दामनी साहू,डिम्पल साहू,भास्कर भंडारी,गोपीचंद,तारणी ,सजनू निर्मलकर,बस्तर के पर्यटन स्थलों को देख आनंदित हुए।